क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र यूनेस्को के तत्वावधान में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित किया गया एक शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान है I केन्द्र, एशिया प्रशांत क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी विकास की दिशा में सहकारी रूप से काम करने पर केन्द्रित है I जैव प्रौद्योगिकी में क्षेत्रीय परस्पर विचार-विमर्श, हमारे समाज के आर्थिक लाभ के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण के विकास हेतु, राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा I केन्द्र, इस क्षेत्र के सभी देशों को ज्ञान समृद्ध, अत्यधिक कुशल मानव संसाधन सम्पन्न करने में लाभकारी है I केन्द्र बायोटेक साइंस क्लस्टर का हिस्सा है और क्लस्टर में अन्य संस्थानों के साथ तालमेल में काम करता है I
भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 14 जुलाई 2006 को क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र, जो कि एक शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है, और जो क्षमता निर्माण पर केन्द्रित है, की स्थापना के लिए नई दिल्ली में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए I क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र (आरसीबी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से यूनेस्को के तत्वावधान में एक संस्थान के रूप में की गई थी I आरसीबी का जनादेश जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान करना और शिक्षा प्रशिक्षण देना है I
केन्द्र की शुरुआत गुड़गांव, हरियाणा में अपनी अंतरिम प्रयोगशालाओं में हुई I डॉक्टर दिनकर एम सालुंके 2010 से अक्टूबर 2015 तक इस केन्द्र के संस्थापक कार्यपालक निदेशक के रूप में कार्यरत रहे I आरसीबी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के फरीदाबाद, हरियाणा में बायोटेक साइंस क्लस्टर के भीतर अपने नए फैले परिसर में स्थानांतरित हो गया और अब यहां से यह पूरी तरह से कार्यात्मक रहा है I
राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र, मानेसर के निदेशक, प्रोफेसर सुब्रत सिन्हा ने नवंबर 2015 से अक्टूबर 2016 तक आरसीबी के कार्यपालक निदेशक (कार्यवाहक) के रूप में कार्य किया I
प्रोफेसर सुधांशु व्रती, अक्टूबर 2016 से वर्तमान कार्यपालक निदेशक हैं I